The Hindi poetry Diaries

विक्रेता के संकेतों पर दौड़ लयों, आलापों में,

मित्रों, मेरी क्षेम न पूछो आकर, पर मधुशाला की,

अब तो कर देती है केवल फ़र्ज़ -अदाई मधुशाला।।६५।

वही वारूणी जो थी सागर मथकर निकली अब हाला,

जिसके पीछे था मैं पागल, हा न मिली वह मधुशाला!।९०।

कभी निराशा का तम घिरता, छिप जाता मधु का प्याला,

साम्यवाद की प्रथम प्रचारक है यह मेरी मधुशाला।।५९।

बेलि, विटप, तृण बन मैं पीऊँ, वर्षा ऋतु हो मधुशाला।।३०।

This web page presents a lot of the my beloved hindi poems. get more info Specifically This can be roughly about well-known hindi poems. by some means english poems never ever have that effect on me as hindi poems ..

जिस साकी के पीछे मैं था दीवाना, न मिला साकी,

सुरा-सुप्त होते मद-लोभी जागृत रहती मधुशाला।।३७।

कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला।।१७।

उतर नशा जब उसका जाता, आती है संध्या बाला,

मैं ही साकी बनता, मैं ही पीने वाला बनता हूँ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *